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Women Success Stories महिलाएं किसी से कम नहीं

      1. कल्पना चावला (17 March 1962 - 1 Feb 2003)

  •  भारत की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री, जिन्होंने अंतरिक्ष में उड़ान भरकर न केवल भारत का नाम रोशन किया, बल्कि महिलाओं के लिए नए रास्ते खोले। भारत की महान बेटी-कल्पना चावला करनालहरियाणा, भारत में जन्मी थी। कल्पना की प्रारंभिक पढाई “टैगोर बाल निकेतन” में हुई। कल्पना बचपन से ही अंतरिक्ष में घूमने की कल्पना करती थी।कल्पना जी को हवाईजहाज़ों, ग्लाइडरों व व्यावसायिक विमानचालन के लाइसेंसों के लिए प्रमाणित उड़ान प्रशिक्षक का दर्ज़ा हासिल था। उन्हें एकल व बहु इंजन वायुयानों के लिए व्यावसायिक विमानचालक के लाइसेंस भी प्राप्त थे। अन्तरिक्ष यात्री बनने से पहले वो एक सुप्रसिद्ध नासा कि वैज्ञानिक थी।
  • अंतरिक्ष पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला कल्पना चावला की दूसरी अंतरिक्ष यात्रा ही उनकी अंतिम यात्रा साबित हुई। सभी तरह के अनुसंधान तथा विचार - विमर्श के उपरांत वापसी के समय पृथ्वी के वायुमंडल में अंतरिक्ष यान के प्रवेश के समय जिस तरह की भयंकर घटना घटी वह अब इतिहास की बात हो गई। नासा तथा विश्व के लिये यह एक दर्दनाक घटना थी।
                                  
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इंदिरा नुई (28 0ctober 1955)

  • पेप्सिको की पूर्व सीईओ, जिन्होंने अपने नेतृत्व और व्यवसायिक कौशल से एक मल्टीनेशनल कंपनी को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया। वर्तमान में पेप्सिको कंपनी की मुख्य कार्यकारी अधिकारिणी हैं। दुनिया की प्रभावशाली महिलाओं में उनका नाम शुमार है। वे येल निगम के उत्तराधिकारी सदस्य हैं। साथ ही वे न्यूयॉर्क फेडरल रिज़र्व के निदेशक बोर्ड की स्तर बी की निदेशक भी हैं। 
  • नूई मद्रासतमिलनाडुभारत (वर्तमान में चेन्नई) में पैदा हुई थी। उनकी प्रारंभिक शिक्षा होली एन्जिल्स एंग्लो इंडियन हायर सेकेंडरी स्कूल मद्रास मे हुई। 
  • भारत में पली-बढ़ी नूई ने बचपन में अनेकों कठिनाइयां झेलते हुए भारतीय प्रबंध संस्थान, कोलकाता से मास्टर डिग्री कीं। इसके बाद अमेरिका स्थित येल यूनिवर्सिटी से पब्लिक और प्राइवेट मैनेजमेंट का अध्ययन किया। इस दौरान उन्हें अमेरिका से कुछ खास लगाव हो गया और उन्होंने येल यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने के बाद बोस्टन कंसल्टेशन फार्म ज्वाइन कर लिया और टेक्सटाइल व कंज्यूमर गुड्स इंडस्ट्री में मुवक्किलों की सेवा करने लगीं
  • 2007 में, उन्हें भारत सरकार द्वारा उद्योग एवं व्यापार के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। 2008 में, वह कला और विज्ञान के अमेरिकन अकादमी की फैलोशिप के लिए चुनी गई थी              

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       3. मालविका अय्यर (18 Feb 1989)

  • म धमाके में हाथ और पैर गंवाने के बावजूद, मालविका ने अपनी विकलांगता को कभी अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। वह एक सामाजिक कार्यकर्ता, प्रेरक वक्ता और विकलांग अधिकारों की समर्थक हैं।
  • मालविका अय्यर हर किसी के लिए प्रेरणास्रोत हैं.... मालविका कहती हैं, मैंने इच्छाशक्ति से दिव्यांगता के सदमे पर विजय पाई। छोटी-छोटी चीजों में खुशी ढूंढना ही उनकी सबसे बड़ी शक्ति है। उन्होंने लिखा, मैंने अपनी पीएचडी थीसिस लिखने का जश्न मनाया और अब मैं अपनी वेबसाइट को साझा करने के लिए रोमांचित हूं, जिसे मैंने अपनी बहुत ही असाधारण उंगली के साथ बनाया है।
                                                   
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    4. मैरी कॉम (24 November 1982)
  • पांच बार की विश्व मुक्केबाजी चैंपियन, मैरी कॉम ने साबित किया कि किसी भी खेल में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए जुनून और मेहनत की जरूरत होती है। 
  •  मणिपुर में जन्मी, मैरी कॉम ने अपने कठिन परिश्रम और समर्पण के बल पर मुक्केबाजी में अद्वितीय स्थान बनाया। उन्होंने ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया। पांच बार की वर्ल्ड चैम्पियन रह चुकीं मैरी कॉम, महिलाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं। उनके संघर्ष और सफलता की कहानी यह साबित करती है कि अगर दृढ़ संकल्प हो तो किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है। उनका जीवन युवाओं को कभी हार न मानने का संदेश देता है।
                                               
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      5. सुष्मिता सेन (19 November 1975 )
  •  मिस यूनिवर्स का खिताब जीतने वाली पहली भारतीय महिला, सुष्मिता सेन ने अपने आत्मविश्वास और साहस के साथ भारतीय महिलाओं के लिए एक नई पहचान बनाई।
  • सुष्मिता ने अपने आत्मविश्वास, बुद्धिमत्ता और सुंदरता से न केवल भारत का नाम रोशन किया, बल्कि दुनिया भर में पहचान बनाई। फिल्मों में उनके अभिनय की भी सराहना की गई है। सुष्मिता सेन ने सामाजिक मुद्दों पर भी मुखर होकर अपनी राय रखी और दो बेटियों को गोद लेकर एक सिंगल मदर के रूप में समाज को नई दिशा दी। उनका जीवन आत्मनिर्भरता और साहस का प्रतीक है, जो सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
                                            
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     6. अरुंधति भट्टाचार्य (18 March 1956)
  • स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की पहली महिला अध्यक्ष, जिन्होंने भारतीय बैंकिंग प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव किए  और महिला सशक्तिकरण की दिशा में काम किया।
  • वह इस पद पर नियुक्त होने वाली पहली महिला थीं। अपने नेतृत्व में, उन्होंने बैंकिंग क्षेत्र में कई सुधार और बदलाव किए, जिससे SBI को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। अरुंधति भट्टाचार्य ने डिजिटल बैंकिंग और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके कार्यकाल के दौरान, उन्होंने बैंक के संचालन को अधिक पारदर्शी और ग्राहकों के लिए सरल बनाया। उनकी सफलता और नेतृत्व की क्षमता महिलाओं के लिए एक प्रेरणास्त्रोत है, जो करियर में ऊंचे मुकाम हासिल करना चाहती हैं।
                                                    
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      7. पीवी सिंधु ( 5 July 1995)
  • ओलंपिक पदक विजेता बैडमिंटन खिलाड़ी, जिन्होंने अपनी मेहनत और समर्पण से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का गौरव बढ़ाया।
  •  2016 के रियो ओलंपिक में रजत पदक जीतकर वह ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी बनीं। इसके बाद, 2019 में उन्होंने विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा। सिंधु ने अपने खेल के प्रति समर्पण, कड़ी मेहनत और अनुशासन से सफलता हासिल की है। वह युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं, खासकर उन महिलाओं के लिए जो खेल के क्षेत्र में अपने सपनों को साकार करना चाहती हैं। उनकी उपलब्धियाँ भारतीय खेल जगत का गौरव हैं।
                                                
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       8. फाल्गुनी नायर( 19 February 1963)
  • नायका (Nykaa) की संस्थापक, जिन्होंने सौंदर्य और फैशन के क्षेत्र में एक बड़ा ब्रांड खड़ा किया और महिला उद्यमियों के लिए प्रेरणा बनीं।
  • उन्होंने 2012 में नायका (Nykaa) की शुरुआत की, जो आज भारत की प्रमुख ब्यूटी और वेलनेस ई-कॉमर्स कंपनी बन चुकी है। अपनी उद्यमिता की शुरुआत से पहले, फाल्गुनी ने एक निवेश बैंकर के रूप में काम किया था, लेकिन अपने सपनों को साकार करने के लिए उन्होंने एक सफल करियर को छोड़कर नायका की नींव रखी। उनके नेतृत्व में, नायका ने तेजी से वृद्धि की और सौंदर्य उत्पादों के क्षेत्र में एक नई क्रांति लाई। फाल्गुनी नायर महिलाओं के लिए एक प्रेरणा हैं, जो यह दिखाती हैं कि किसी भी उम्र में सपनों को पूरा किया जा सकता है।
                                          
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      9. लता मंगेशकर( 28 September 1929 - 6 February 2022 )
  • स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने अपनी सुरीली आवाज से भारतीय संगीत को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई और संगीत जगत में महिलाओं का सम्मान बढ़ाया।
  • लता मंगेशकर भारत की सबसे महान और सम्मानित गायिकाओं में से एक थीं। उनका संगीत करियर सात दशकों से अधिक का रहा, जिसमें उन्होंने 30,000 से अधिक गाने 36 भाषाओं में गाए। उन्हें 'स्वर कोकिला' के नाम से भी जाना जाता है। उनकी मधुर आवाज़ ने न केवल भारतीय सिनेमा में, बल्कि पूरे विश्व में लोगों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी। लता मंगेशकर को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिसमें भारत रत्न भी शामिल है। उनकी गायकी की कला और समर्पण ने उन्हें एक अद्वितीय स्थान दिलाया, और वह सदियों तक संगीत प्रेमियों के दिलों में जीवित रहेंगी।
                                      
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      10. सुधा मूर्ति 9 August 1950)
  • इन्फोसिस फाउंडेशन की चेयरपर्सन, लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता, जिन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुधारों के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया है।
  •  उनका जन्म 19 अगस्त 1950 को कर्नाटक में हुआ था। उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और टाटा मोटर्स में पहली महिला इंजीनियर के रूप में काम किया। सुधा मूर्ति ने शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए हैं। उन्होंने कई पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें बच्चों के लिए कहानियाँ और सामाजिक मुद्दों पर आधारित उपन्यास शामिल हैं। सुधा मूर्ति इंफोसिस फाउंडेशन की चेयरपर्सन भी हैं, और उनके समाज सेवा के कार्यों के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
                                      
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ये कहानियाँ न केवल प्रेरणादायक हैं, बल्कि यह भी दिखाती हैं कि कड़ी मेहनत, समर्पण और साहस से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है।



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